परिवार एवं समाज – व्‍यक्ति – सामाजिक संबंध – समाज कैसे बनता है ?

परिवार एवं समाज

  • व्‍यक्ति तथा परिवार क्‍या है ?
  • समाज कैसे बनता है ?
  • परिवार एवं समाज के आपसी संबंध !
आप जब शिशु अवस्‍था में थे, विद्यालय में पढ़ने नहीं आते थे, तब आपको घर पर कौन नहलाता धुनाता था ? आपको भोजन कौन करवाता था ? कपड़े कौन पहनाता था ? इन सभी कार्यों को आपके माता-पिता एवं घर के अन्‍य बडे़ सदस्‍य करते रहे होंगे ! जैसे-जैसे आप बड़े होते गए, कुछ काम आप स्‍वयं करने लगे होंगे ! घर अथवा पड़ोस में जब कोई बीमार पड़ जाता है, अथवा कोई कठिनाई में होता है, तब उसे दूसरों की सहायता की आवश्‍यकता होती है !

जरा सोचिए ! जब आप शिशु थे तब आपकी माता आपकी देखभाल न करती तो क्‍या होता  ? माता-पिता अपने शिशूओं की जिम्‍मेदारी सहज रूप से स्‍वीकरते हैं ! यही भावना परिवार तथा समाज के सदस्‍यों में होती है ! इसी से परिवार व समाज संगठित रहता है !

व्‍यक्ति

आइए व्‍यक्ति, परिवार एवं समाज के विषय में जानें ! व्‍यक्ति परिवार की एक इकाई है ! व्‍यक्ति अपने परिवार में रहते हुए पलते-बढ़ते हैं और विभिन्‍न क्षेत्रों में अपना विकास करते हैं ! यदि आप अपने घर में कभी अकेले रहे हों, तो बताइए कि उस समय आपको कैसा लगा ! यदि अधिक समय तक अकेले रहना पड़ा होगा ता आपको निश्चित ही अच्‍छा नहीं लगा होगा !
व्‍यक्ति की विशेषताएँ उसके वैयक्तिक गुण, भोजन, वस्‍त्र, आवास आदि के आधार पर निर्धारित होती हैं ! समाज में व्‍यक्ति राजनेता, धर्म उपदेशक, अध्‍यापक, न्‍यायाधीश, चिकित्‍सक, कृषक एवं श्रमिक आदि पद धारण कर विभिन्‍न कार्य करता है एवं समाज में अपनी पहचान बनाता है !

परिवार

परिवार में व्‍यक्ति एक इकाई है ! एकल परिवार में प्राय: पति-प‍त्‍नी, उनके पुत्र-पुत्रियाँ एवं संयुक्‍त परिवारों में पति-पत्‍नी व पुत्र-पुत्रियों के अतिरिक्‍त, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि भी शामिल होते हैं !
परिवार में व्‍यक्तियों के साथ-साथ रहने पर सुरक्षा का भाव पैदा होता है ! परिवार के सदस्‍यों की परिवार में व्‍यक्तिगत आवश्‍यकताएँ भी पूरी होती हैं ! परिवार के बड़े बुजुर्ग सदस्‍यों का प्‍यार, सीख व मार्गदर्शन छोटों से प्राप्‍त होता है ! माता को प्रथम गुरू भी कहा गया है ! बच्‍चे को प्रथम शिक्षा परिवार में माता के माध्‍यम से प्राप्‍त होती है ! परिवार के बड़े सदस्‍य बच्‍चों की साफ-सफाई, स्‍वास्‍थ्‍य व शिक्षा का ध्‍यान एवं बड़े-बूढ़ों की देखभाल सहर्ष करते हैं ! बच्‍चों को आगे की शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए परिवार ही उन्‍हें विद्यालयों को सौंपता है ! परिवार के छोटे सदस्‍य भी वृद्धजनों की देखभाल करते हैं, व बड़ों का आदर करते हैं !

परिवार एवं समाज - व्‍यक्ति - सामाजिक संबंध - समाज कैसे बनता है ?



आपस में रिश्‍तेदारी, रक्‍त संबंध होते हुए एक घर में रहने वाले सदस्‍यों से मिलकर परिवार बनता है ! छोटे परिवार को आदर्श परिवार माना गया है ! विद्यालय भी एक परिवार के समान है ! 

समाज

कई परवारों से मिलकर समाज का निर्माण होता है ! परिवार समाज की एक इकाई है ! एक प्रकार के समाज में खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज, परम्‍पराएँ एवं प्रथाएँ प्राय: एक ही प्रकार के होते हैं !
वर्तमान में बदलने आर्थिक एवं सामाजिक संदर्भों में समाज नए प्रकार से भी संगठित हो रहे हैं ! इन परिवर्तनों में शिक्षा का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है ! इनका उद्देश्‍य सामाजिक रीति-रिवाजों में आ गर्इ कुरीतियों को दूर करना है ! वर्तमान में जागरूक समाज के लोग अपने-आपको संगठित कर एक मंच पर आना शुरू हो गए हैं ! 
वे अशिक्षा, बाल-विवाह, दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए कार्य कर रहे हैं ! यह नवीन सामाजिक प्रवृत्ति कर परिचालक है ! ऐसे संगठित समाज के लोगों ने अपने समाज के नियमों का भी निर्धारण किया है और सामाजिक क्रियाकलापों द्वारा व समाज के सदस्‍यों को विभिन्‍न प्रकार से प्रोत्‍साहन भी दे रहे हैं !
मनुष्‍य एक सामाजिक प्राणी है, अत: समाज से पृथक रहकर वह अपनी तथा अपने सामाजिक हितों की रक्षा नहीं कर सकता ! यदि मनुष्‍य, मनुष्‍य की भांति रहना चाहता है, तो उसे अपने आसपास के लोगों से अच्‍छे सम्‍बन्‍ध बनाए रखने चाहिए !

परिवार एवं समाज - व्‍यक्ति - सामाजिक संबंध - समाज कैसे बनता है ?



समाज एक व्‍यावस्‍था है ! प्रत्‍येक समाज की एक संरचना होती है ! समाज का अपना संगठन होता है ! समाज का आधार सामाजिक संस्‍थाएँ और संबंध होते हैं !

सामाजिक संबंध

यदि दो व्‍यक्ति रेलगाड़ी या बस में साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं और आपस में बातचीत भी कर रहे हैं, तो इतने मात्र से सामाजिक संबंध नहीं बन जाते ! यह कुछ देर का संपर्क मात्र है ! यदि सम्‍पर्कों को बढ़ाया जाए, एक-दूसरे के सुख-दु:ख में शामिल हुआ जाए तथा सम्‍पर्कों को किसी प्रकार का स्‍थाई आधार दिया जाए और इनका निर्वाह भी किया जाए तो सामाजिक संबंधों की स्‍थापना हो सकती है !

समाज कैसे बनता है ?
समाजशास्त्रियों ने समाज को सामाजिक संबंधों का जाल माना है ! वास्‍तव में अनेक परिवारों के आपसी संबंधों से समाज का निर्माण होता है मनुष्‍य सामाजिक प्राणी है अत: वह परिवार एवं समाज दोनों से जुड़कर रहता है ! व्‍यक्ति के जीवन में विवाह हेतु उचित साथी का चुनाव तथा विवाह के बाद बच्‍चों का पालन-पोषण उनकी शिक्षा-दीक्षा की व्‍यवस्‍था करना आदि की चिंताएँ सामने आती हैं ! समाज के सदस्‍य एवं उसके पारिवारिक मित्र आदि इन समस्‍याओं को सुलझाने में अपनी राय भी देते हैं ! 

एक उन्‍नत समाज में व्‍यक्तियों की आपस में निर्भरता, साथ-साथ कार्य करने की भावना, व्‍यक्तिगत विचारों का सम्‍मान एवं सामाजिक घटना का सही-गलत विश्‍लेषण करने की क्षमता पाई जाती है !

शिक्षित समाज अनेक सामाजिक समस्‍याओं जैसे कम उम्र में विवाह, अधिक संतानों का होना, बच्‍चों को प्रारंभिक एवं अनिवार्य शिक्षा न दिनाना जैसी बुराइयों पर नियंत्रण लगा सकता है !

About : jaane

jaane.in वेबसाइट पर आपको हिंदी भाषा में सभी प्रकार के विषयों पर सरल भाषा में जानकारी दी जाती है. ताकि आप सरल भाषा में पढ़ के जानकारी प्राप्त कर सके. हमारी इस वेबसाइट को लोगो के साथ शेयर करेक हमारी मदद करे .

loading...

Reader Interactions

Add Your Comment:

Your email address will not be used or publish anywhere.