प्रथ्वी पर किसी स्थान के बारे में जानने के लिए अक्षांश और देशान्तर रेखाओ से कैसे पता कर सकते है और अक्षांश और देशान्तर रेखाए क्यों जरुरी है तो आइये आज हम इस पोस्ट में अक्षांश और देशान्तर रेखाओ के बारे में पढेंगे .
आज हम इस पोस्ट में जानेगें की Akshansh Deshantar Rekhaye Kya Hai और अक्षांश और देशान्तर रेखा का क्या महत्ब है .
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Akshansh Deshantar Rekhaye Kya Hai

अक्षांश रेखाएं-
पृथ्वी अपने अक्ष पर 231/2° झुकी हुई है, इस कारण पृथ्वी पर 231/2° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश तक ही सूर्य वर्ष में एक बार सीधा चमकता है. इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा चमकता है. इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा नहीं चमकता. यही कारण है कि कर्क रेखा एवं मकर रेखा का निर्धारण 231/2° पर किया गया है.
भूमध्य रेखा के समानान्तर खीचें हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत या रेखाएँ कहते हैं. इनकी कुल संख्या 180 है.
अक्षांश रेखाओं की विशेषताएं
- ये रेखाएं पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्तर खींची जाती है.
- ये पूर्ण वृत्ताकार होती है.
- दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है.
- विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं, ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाता है.
- अक्षांश रेखाओं की लंबाई समान नहीं होती है.
- भूमध्य रेखा के उत्तरी क्षेत्र को उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं.
देशान्तर रेखाएं-
देशान्तर रेखाओं की विशेषताएं-
- देशान्तर रेखाएं अर्द्धवृत्त होती हैं.
- इनकी लंबाई समान होती हैं.
- विषुवत वृत्त पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है, लेकिन जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं तो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी कम होती जाती हैं.
- ये रेखाएं प्रधान मध्यान्ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची गई हैं, इनकी कुल संख्या 360 हैं.
- पृथ्वी पर किसी स्थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए अक्षांश और देशांतर रेखएं, ग्लोब एवं मानचित्र पर खींची गयी है. इनकी सहायता से हम पृथ्वी पर किसी भी स्थान की भौगोलिक स्थिति को जान सकते हैं, ये काल्पनिक रेखाएं हैं.
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