Akshansh Deshantar Rekhaye Kya Hai – अक्षांश और देशान्तर की क्यों जरूरत है ?

प्रथ्वी पर किसी स्थान के बारे में जानने के लिए अक्षांश और देशान्तर रेखाओ से कैसे पता कर सकते है और अक्षांश और देशान्तर रेखाए क्यों जरुरी है तो आइये आज हम इस पोस्ट में अक्षांश और देशान्तर रेखाओ के बारे में पढेंगे .

आज हम इस पोस्ट में जानेगें की Akshansh Deshantar Rekhaye Kya Hai और अक्षांश और देशान्तर रेखा का क्या महत्ब है .

 

Akshansh Deshantar Rekhaye Kya Hai 

ग्‍लोब और मानचित्र पर बहुत सी रेखाएं खिंची होती है. कुछ रेखाएं खड़ी होती है और कुछ आड़ी ये रेखाएं एक-दूसरे को काटती भी है, और ग्‍लोब पर जाल सा बनाती है, वास्‍तव में ये रेखाएं काल्‍पनिक है, पृथ्‍वी पर ऐसी कोई रेखाएं खिचीं हुई नहीं हैं .
पृथ्‍वी पर किसी स्‍थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए ये रेखाएं ग्‍लोब एवं मानचित्र पर खींची गयी हैं. इन रेखाओं की मदद से हम किसी गांव, नगर, देश या किसी स्‍थान की भौगोलिक स्थिति को आसानी से जान सकते हैं .
रेखाओं के इस जाल को समझने के लिए हमें ग्‍लोब पर दो बिन्‍दूओं को देखना होगा. एक बिन्‍दू ग्‍लोब के ठीक ऊपर की ओर होता है. जिसे हम उत्तरी ध्रुव कहते हैं और दूसरा एकदम नीचे की ओर होता है जिसे दक्षिणी ध्रुव कहते हैं.
यदि हम ग्‍लोब को ध्‍यान से देखें तो हमें इन दोनों ध्रुवों के बीचों बीच एक वृत खींचा हुआ दिखाई  देता है. जिसे भूमध्‍य रेख या विषुवत वृत्‍त कहते हैं. यह वृत्त पृथ्‍वी को दो बराबर भागों में बांटता है. इस वृत्त के उत्तर वाले भाग को उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिण वाले भाग को दक्षिणी गोलाद्ध कहते हैं.
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अक्षांश रेखाएं-

भूमध्‍य रेखा के समानान्‍तर खींचे हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत्त अथवा अक्षांश रेखाएं कहते हैं. भूमध्‍य रेखा के केंद्र बिन्‍दु से प्रत्‍येक अंश पर एक-एक वृत्त खींचे गये हैं व उनके सामने उ. एवं द. लिखा जाता है जिसका अर्थ क्रमश: उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश होता है. इस तरह 90 अक्षांश उत्तरी गोलार्द्ध में और 90 अक्षांश दक्षिणी गोलार्द्ध में खींचे है.
इस प्रकार कुल 180 अक्षांश वृत्त या रेखाएं ग्‍लोब पर खींची गयी है. ग्‍लोब पर खिंचे हुए सभी वृत्तों में विषुवत वृत्त या विषुवत रेखा सबसे बड़ा वृत्त है. उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी अक्षांश वृत को कर्क वृत या कर्क रेखा कहते है.
यह वृत हमारे देश के गुजरात, मध्‍यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मिजोरम आदि राज्‍यों में होकर गुजरता है ! इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्द्ध में 231/2° दक्षिणी आक्षंश वृत्त को मकर वृत या मकर रेखा कहते है.

पृथ्‍वी अपने अक्ष पर 231/2° झुकी हुई है, इस कारण पृथ्‍वी पर 231/2° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश तक ही सूर्य वर्ष में एक बार सीधा चमकता है. इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा चमकता है. इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा नहीं चमकता. यही कारण है कि कर्क रेखा एवं मकर रेखा का निर्धारण 231/2° पर किया गया है.

भूमध्‍य रेखा के समानान्‍तर खीचें हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत या रेखाएँ कहते हैं. इनकी कुल संख्‍या 180 है.

अक्षांश रेखाओं की विशेषताएं

  • ये रेखाएं पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्‍तर खींची जाती है.
  • ये पूर्ण वृत्ताकार होती है.
  • दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है.
  • विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं, ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाता है.
  • अक्षांश रेखाओं की लंबाई समान नहीं होती है.
  • भूमध्‍य रेखा के उत्तरी क्षेत्र को उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं.
देशान्‍तर रेखाएं-
किसी भी स्‍थान की सही स्थिति का पता लगाने के लिए हमें अक्षांश वृत्तों के अलावा कुछ खड़ी रेखाओं का भी सहारा लेना पड़ता है, ये रेखाएँ ग्‍लोब या मानचित्र पर उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हैं.
उत्तर से दक्षिण खींची रेखाओं को देशान्‍तर रेखा कहते हैं. ग्‍लोब पर ये रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर अर्ध वृत्त होती है जबकि मानचित्रों में उत्तर से दक्षिण में सीधी खींची होती है.
मुख्‍य अक्षांश रेखा (0° भूमध्‍य रेखा) की तरह ही देशान्‍तर रेखाओं में भी एक रेखा को प्रधान देशान्‍तर रेखा माना जाता है. यह रेखा इंग्‍लैंड में लंदन के पास स्थित ग्रीनविच वेधशाला से गुजरती है. इसे ही 0° प्रधान मध्‍यान्‍ह रेखा कहते हैं. अन्‍य देशान्‍तर रेखाएँ प्रधान मध्‍यान्‍ह रेखा के पूर्व और पश्चिम में खींची गई हैं.
प्रधान मध्‍यान्‍ह रेखा पृथ्‍वी को पूर्वी व पश्चिमी गोलार्द्ध में बांटती है. प्रधान मध्‍यान्‍ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची गई 180 देशांतर रेखाएँ हैं. किसी भी प्रकार के भ्रम से बचने के लिए पूर्वी गोलार्द्ध और पश्र्चिमी गोलार्द्ध की देशांतर रेखाओं के साथ क्रमश: ‘पू.’ तथा ‘प.’ शब्‍द लिखा जाता है. जिसका अर्थ क्रमश: पूर्वी तथा पश्चिमी होता है.

देशान्‍तर रेखाओं की विशेषताएं-

  • देशान्‍तर रेखाएं अर्द्धवृत्त होती हैं.
  • इनकी लंबाई समान होती हैं.
  • विषुवत वृत्त पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है, लेकिन जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं तो देशान्‍तर रेखाओं के बीच की दूरी कम होती जाती हैं.
  • ये रेखाएं प्रधान मध्‍यान्‍ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची गई हैं, इनकी कुल संख्‍या 360 हैं.
  • पृथ्‍वी पर किसी स्‍थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए अक्षांश और देशांतर रेखएं, ग्‍लोब एवं मानचित्र पर खींची गयी है. इनकी सहायता से हम पृथ्‍वी पर किसी भी स्‍थान की भौगोलिक स्थिति को जान सकते हैं, ये काल्‍पनिक रेखाएं हैं.

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