आपको कभी न कभी तो सुनने में आया ही होगा की आत्मा जैसी कोई चीज़ है या नहीं और अपने इस बारे में सोचा भी होगा ही की आत्मा और परमात्मा जैसी क्या चीज़ है जो की सारे संसार में व्यप्त है और यह कैसे कार्य करती है तो आइये इस पोस्ट में Atma or Parmatma Ka Kya Rahasya hai-Bhoot Pret Se Kaise Bachen – Hindi – Jaane.in के बारे में पढेंगे.

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Atma Ka Rahasya Kya Hai ?
आत्मा के बारे में यह माना जाता है कि शरीर में जहां जहां संवेदना होती है शरीर के हर उस हिस्से के रेशे विषय में आत्मा का निवास माना जाता है उसके अनुसार जब शरीर की मृत्यु हो जाती है अर्थात जब रेशा रेशा काम कार्य करना बंद कर देता है तो चेतना शरीर के उस भाग से बाहर की ओर निकल जाती है और संसार में फैल जाती है शास्त्रों के अनुसार उस क्षण आत्मा दूसरे लोगों की यात्रा पर निगमन कर जाती है.
कुछ लोग आत्माओं को भूत प्रेत मानते हैं और इस कारण कई बार ऐसे लोग भूत-प्रेत या आत्माओं से डरते भी हैं पर जो लोग आज के समय में वर्तमान में रह रहे हैं उनका सोचना ऐसा नहीं है वह इन सब चीजों का यकीन नहीं मानते और वह इस सब को नकारते हैं.
Parmatma Ka Rahasya Kya Hai ?
हर धर्म तथा हर धर्म की हर उस किताब में परमात्मा के बारे में अपनी अपनी व्यापक राय लिखी गई है और साथ ही हर किताब में एक चीज सामान्य निश्चित लिखी गई है कि परमात्मा छोटे से छोटे और बड़े से बड़े हर उस कण में विद्यमान है जो कोई व्यक्ति छू सकता है अन्यथा देख सकता है इसके उपरांत हर उस काल में भी परमात्मा विद्यमान है जिसे भले ही मनुष्य सूर्या देख नहीं सकता परमात्मा को ही परब्रह्मा का स्वरूप दिया गया है.
मनुष्य तथा किसी जीव मात्र का जिंदा जीवित व मरण समय निश्चित बताया गया है यह सब केवल परमात्मा के ही इशारे पर चलता है और यह परब्रह्मा की इच्छा अनुसार कार्य करता है इसके लिए मनुष्य ना ही किसी तरह किसी भी चीज को करने के लिए बाद है जो कि वह खुद करना चाहता है अपितु यह बताया जाता है कि जो कि मनुष्य करता है उस हर कर्म के लिए परमात्मा का आदेश होता है तब मनुष्य परमात्मा के कहे आदेश अनुसार ही कोई भी कार्य करता है.
किसी भी कई के अंदर कोई नाभिक जरूर उपस्थित होता है वह उस इकाई का जीवात्मा स्वरूप कहलाता है जैसे कि सौरमंडल में सूर्य नाविक की तरह कार्य करता है और समस्त समस्त ग्रहों के लिए जीवात्मा का कार्य करता है और सभी ग्रहों को अपनी ऊर्जा से लाभान्वित करता है यह हमें हमारे शरीर के केंद्र का पावर पॉइंट जैसे कि हृदय कार्यकर्ता है वैसे ही यह सौरमंडल के लिए भी कार्य करता है.
Atma or Parmatma Me Kya Antar Hai ?
आत्मा और परमात्मा अपनी अपनी जगह निश्चित विद्यमान है उनके स्वरूप को कम इन छोटे अंतरों से समझने का प्रयत्न कर सकते हैं
- आत्माएं तो कहीं हैं जितनी मनुष्य है उतनी ही आत्माएं हैं और साथ ही कुछ आत्माएं परमात्मा की शरण में है परंतु परमात्मा केवल एक ही है जोकि आत्माओं का स्वामी स्वरूप है.
- आत्मा और परमात्मा दोनों का ही जन्म व अंत नहीं है यह ना पैदा होती है और ना कभी मर सकती हैं यह सदा व्याप्त रहती है इनको बनाने वाला कोई नहीं है परंतु आत्मा परमात्मा का ही अंत नहीं है हर आत्मा एक अलग अलग स्वतंत्रता की घड़ी होती है परंतु आखिरकार वह परमात्मा की शरण में ही रहकर अपने व्याप्त कर्मों को करती है.
- परमात्मा की तुलना में जीव आत्मा का आकार बहुत ही छोटा अणु के समान बताया गया है इसकी तुलना में परमात्मा को आकाश के समान हर जगह सर्वव्यापक बताया गया है.
- जीव आत्मा का ज्ञान सीमित मात्रा में बहुत ही थोड़ा है परंतु परमात्मा सर्वे के है यह सब कुछ जानते हैं यह सब कुछ जानता है जो कुछ हो चुका है हो रहा है या होने वाला है इस सब की जानकारी परमात्मा को होती है परंतु आत्मा का ज्ञान बहुत ही कम होने के कारण जो हो रहा है बस उसी में आत्मा को बताया गया है.
- जिस प्रकार आत्मा एक अणु के समान है उसी प्रकार आत्मा की शक्ति भी बहुत ही ज्यादा सीमित है थोड़ी है परंतु परमात्मा जिस प्रकार सर्वज्ञ है और सब ज्ञानी है उसी प्रकार परमात्मा की शक्ति भी सर्वशक्तिमान है.
Bhoot or Pret Ka Kya Rehasya Hai ?
जब कोई आत्मा किसी शरीर से सही समय आने के पहले ही किसी कारणवश निकल जाती है तो वह भूत या प्रेत बन जाती है अर्थात जब किसी शरीर में कोई आत्मा होती है और किसी अन्य आत्मा के द्वारा सताई जाती है या उसकी उसके शरीर की मृत्यु कर दी जाती है तो वह अनिश्चित समय ही उस शरीर को त्याग देती है तब वह ऐसी आत्मा भूत प्रेत बन जाती है जो की सताई हुई होती है.
एक आत्मा है जो भूत प्रेत बन जाती हैं इनमें से कुछ आत्मा है अच्छी होती हैं परंतु कुछ जो बहुत ही ज्यादा सताई हुई होती हैं वह कभी-कभी हानिकारक भी हो जाती हैं जो कि दूसरों को भी हानि पहुंचा सकती हैं जो काले साए के अंतर्गत कार्य करती हैं.
Bhatakti Atma Ka Kya Rehasya Hai ?
जब कभी किसी ऐसे व्यक्ति की अनिश्चित समय ही मृत्यु हो जाती है जब उसकी मृत्यु का समय ना आया हो जा कभी कोई ऐसा व्यक्ति अपनी दे को त्याग दें जब तक कि उसकी अंतिम इच्छा पूर्ण ना हुई हो तो ऐसे समय में उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है और जब तक उसकी अंतिम इच्छा पूर्ण नहीं हो जाती तब तक वह आत्मा भटकती रहती है जो कि कई बार अच्छी कार्य भी करती है और ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ सताई हुई आत्माएं अपनी अंतिम इच्छा को पूर्ण ना होने तक खतरनाक कार्य भी करती हैं जो कभी कभी मनुष्य को परेशान भी करती है.
भटकती आत्माओं को कई बार काला साया भी कहते हैं ऐसे काले साए कई बार कई व्यक्तियों की जान के दुश्मन भी होते हैं जो कि उन्हें आत्मिक रूप से परेशान कर ले और वह तब तक दुनिया से मुक्ति नहीं पाते जब तक उनकी अंतिम इच्छा पूर्ण नहीं हो जाती और ऐसा होने में कई बार कई सदियां भी लग जाते हैं.
Bhoot Pret Se Kaise Bachen ?
भूत प्रेतों से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि भूत प्रेतों की जानकारी है कि जिस स्थान पर भूत-प्रेतों ने अपना साया बना रखा है उसी स्थान पर ना जाएं.
भूत प्रेत से बचने के लिए ऐसा भी बताया जाता है कि अगर परमात्मा की शरण ले ली जाए या परमात्मा के नाम का जाप किया जाए तो भूत या प्रेत नहीं सताते और भूत प्रेत उस समय करीब नहीं आते हैं.
कई बार ऐसा भी बताया जाता है कि भूत प्रेतों से बचने के लिए परमात्मा स्वरुप जो ईश्वर है उसके कई रूपों वैसे किसी भी रुप का नाम लेने पर आत्मा आपको नहीं सताती और आत्मा आपका पीछा छोड़ देती है तो अगर आपको कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि भूत प्रेत आपके साथ है तो आप ईश्वर का नाम लेकर उससे छुटकारा पा सकते है.
Bhatakti Atma Ko Kaise Mukti Milti Hai ?
भटकती आत्माएं तब मुक्ति पाती हैं जब उनकी अंतिम इच्छा पूर्ण हो जाती है या भटकती आत्माओं को मुक्ति देने के लिए कई बार पिंडदान भी किए जाते हैं परंतु अगर कोई सताई गई आत्मा है तो उस सताई गई आत्मा को तक शांत किया जा सकता है जब तक कि उसकी अंतिम को पूर्ण किया जाए.
कई बार आना शुभ समय पर समय पर मृत्यु होने पर आत्माएं लोक और परलोक के बीच फंस जाते हैं और उनकी अंतिम इच्छा है या और वह उनकी आत्मा मोह माया के अंतर्गत फंसी रहती हैं जब तक वह मुंह माया से नहीं निकलती तब तक वह परलोक के लिए नहीं निकलती इसके लिए उनकी अंतिम इच्छाओं का पूर्ण होना आवश्यक हो जाता है जिससे कि वह लोक और परलोक के बीच के मार्ग को पूर्ण कर सकें.
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