आज हम धार्मिक मान्यता वाले विशेष पर्व दुर्गा पूजा के बारे में जानकारी लेने वाले हैं और साथ ही आपको माँ दुर्गा के नव दिन के बारे में और Durga Puja – 2020 – Durga Puja Ki Vidhi Kya Hai – Devi Durga Ke 9 Roopon Ke Naam Kya Hain के बारे में जानेंगे.
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Durga Puja 2020
2020 मे दुर्गा पूजा 22 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होकर 26 अक्टूबर सोमवार तक मनाया जायेगा.
हर साल दुर्गा पूजा अलग अलग समय पर मनाया जाता है, दुर्गा पूजा की तिथि पंचांग के अनुसार निर्धारित होती है. दुर्गा पूजा के अनेक नियम होते है, कोई भी नियम मे किसी प्रकार की गलती नही होनी चाहिए, हर नियम का पालन विधि पूर्वक होना चाहिए. माँ दुर्गा से जुड़ीं अनेक कहानिया हिंदू पुराणो मे लिखीं हुयीं है. माँ दुर्गा, पार्वती माता का ही एक रूप है,

समाज से बुराइयो का नाश करने के लिए माँ ने यह रूप धारण किया था. माँ दुर्गा की पूजा 10 दिन तक किया जाता है, अलग अलग जाति के लोग अलग अलग तरह से विधिवत पूजा करते है. माँ दुर्गा के पूजा को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसे नवरात्रि कहने की वजह है क्योकि माता के 9 रूप होते है, और 9 दिन , सभी 9 रूपो की पूजा होती है. और दसवे दिन को दशहरा कहते है, जिस दिन माता को विदा किया जाता है.
Durga Puja Ki Vidhi kya hai ?
दुर्गा पूजा की विधि-
माँ दुर्गा की पूजा हमेशा विधिवत तरीके से किया जाना चाहिए, अब पूजा करने के लिए अनेक नियम और विधि होते है, जो की पंडित जी द्वारा मंत्र उच्चारण से पूरे होते है, अब अलग अलग जगह अलग अलग नियमो से पूजा करते करते है, अनेक लोग अपने घरो मे भी नवरात्रि मे माँ दुर्गा की पूजा करते है.
नियमो मे सबसे पहले जहाँ माता का आसन होता है, वहा पर गेहू और धान को मिट्टी के कलश मे मिट्टी भरकर उसमे उगाते है. उस कलश को 9 दिन तक माता के साथ रखते है.
पहले दिन जब माता को लाया जाता है, तब माता के आसान को फूलो से सजाते है, आसन मे लाइट जलते रहते है, घी ओर तेल के दीये जलते रहते है, पंडित जी द्वारा मंत्र पाठ होता है, फलो और मिठाइयो के भोग चढ़ाए जाते है.
नवरात्रि के समय रात गरबा खेला जाता है, जिसमे सभी महीलाओ, पुरुष, बच्चे सभी लोग आनंदित होकर गरबा खेलते है, जिसमे गरबा खेलने के लिया अलग से पंडाल बने होते है. सभी लोग सुंदर कपड़े पहनकर खेलते है. गुजरात राज्य मे गरबा बहुत धूम धाम से खेला जाता है. गरबा खेलने के लिए अलग वेश भूषा होती है.
Devi Durga Ke 9 Roopon Ke Naam Kya Hain ?
दुर्गा पूजा साल मे दो बार मनाया जाता है, कहते है की एक पूजा भगवान राम के द्वारा शुरू की गयी थी और दूसरी पूजा पराक्रमी रावण के द्वारा शुरू हुई थी. दोनो ही पूजा हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है. मा दुर्गा के 9 रूप होते है जिस कारण उन्हे नव दुर्गा के नाम से भी जाना है.
नवरात्री के नो दिनों के पश्चात दसवे दिन रावन को जलाया जाता है इसे दसहरा कहा जाता है. क्योकि उस दिन भगवन श्री राम रावन का वध किये थे और उसी दिन रात्रि में माँ को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है.
माँ के इन रूपों का पूजन और अर्चना की जाती है.
शैलपुत्री – जब सती ने आग मे कूदकर अपनी जान दी थी उसके बाद , माता सती ने एक मनुष्य के घर मे बेटी के रूप मे जन्म लिया था , उनके जो पिता थे वह हिमालया पर्वत के राजा थे, तो पर्वत राजा की पुत्री होने से उन्हे शैलपुत्री कहा जाता है.
ब्रह्मचारिणी – माँ दुर्गा वैरग्य और तपस्या का रूप है, इसलिए उन्हे माँ ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाता है.
चंद्रघंटा – यह नाम माता के विवाह के बाद उन्हे दिया गया , इसमे शिव जी के साथ विवाह के बाद उनके माथे मे आधा चंद्र और घंटी जैसा आकर देकर उन्हे सजाया गया था. तब से माता को चंद्रघनटा के नाम से जाता है.
कुष्मांडा – माता ,सूर्या मे जाकर रहने लगी , और सूर्य से प्रकाश को चारो ओर फैलने लगी, माता , सूर्य के तेज़ गर्मी मे भी निवास कर सकती है, यह देखकर उनका नाम कुष्मांडा पड़ा.
स्कंदमाता – इनकी पूजा नवरात्रि के पाचवे दिन मे किया जाता है. दुष्ट शक्तियो का नाश करने और साधु , देवताओ को बचाने के लिए माता ने एक साध्वी के रूप मे जन्म लिया. और उनका नाम स्कंदमाता पड़ा.
कात्यायनी – माँ दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा नवरात्री के छठवे दिन की जाती है माँ कात्यायनी सभी दुखों को हरने वाली साथ ही नव जीवन को बेहतर बनाने के लिए आशीर्वाद देने वाली हैं इनकी पूजन करने से माँ भक्तों से प्रसन्न रहतीं हैं.
कालरात्रि – इनकी पूजा सातवे दिन मे की जाती है, यह रूप माता का बहुत ही गुस्से वाला है,जिसमे माता सब सुख, दुख, अच्छाई ,बुराई भूलकर एक साथ असुरो के नाश मे लगी रहती है.
महागौरी – माता सुख ,शांति ओर शुद्धता का प्रतीक है, और माता की सुंदरता और गोरे रंग के कारण उन्हे महागौरी कहा जाता है.
सिद्धिदात्री– माता ने भगवान रुद्रा की तपस्या से खुश होकर उन्हे सिद्धिदात्री के रूप मे दर्शन दिए थे.
Durga Puja parb in Kolkata Bangal ?
कोलकाता मे दुर्गा पूजा का बहुत ही भब्य उत्सव मनाया जाता है, पश्चिम बंगाल मे कोलकाता मे सबसे धूमधाम से पूजा किया जाता है , यह अपर नियम ओर विधि भी सभी से अलग होती है.
यहा पर माता 5 दिनो के बिठाया जाता है, जिसमे षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, और दशहरा होता है, षष्ठी के दिन माता को लाया जाता है, उसके पहले पंचमी के दिन कलश बिठाया जाता है. अष्टमी सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिस दिन को फूल , बेल पत्र ओर दुर्भा के साथ अंजलि दिया जाता है, संध्या के समय धूप धुनूची होता है. जिसमे सभी लोग हिस्सा लेते है.
कोलकाता मे बहुत ही बड़े स्तर मे माता की पूजा होती है, उनके पोषाख भी अलग होते है. दशहरे के दिन जब माता को बिदाई दी जाती है तब सभी सुहागन मिलकर सिंदूर से खेलती है, यह एक प्रकार से खुशी ज़ाहिर करने का तरीका, माता भी सुहागन है तो सभी सुहागन महिलाए उन्हे सिंदूर पहनाती है.
Durga Puja Ke Mehatva in kya hain ?
दुर्गा पूजा का अनेक महत्व है, इस दिन मा दुर्गा महेशासुर का वध करके अपने मायके जाती है, महेशासुर एक असुर था, जिसे भगवान विष्णु ने वरदान दिया था, महेशासुर ने अपनी तपस्या से भगवान विष्णु को खुश किया जब विष्णु ने उसे दर्शन दिए और वर माँगने के लिए तो उसने अमर होने का वरदान माँगा पर विष्णु जी ने उसे मना कर दिया,
इस वरदान के बदले मे कहा की महेशासुर का वध किसी महिला के हाथ से होगा, यह वर पाकर वह खुश होकर यह सोचने लगा की वह इतना बलशाली है कि उसे कोई मार नहीं सकता, परन्तु जब उसका अत्याचार लोगो मे बढ़ने लगा तब माता दुर्गा के हाथो उसका वध हुआ.
Durga Puja Ke Samay Kya karen ?
दुर्गा पूजा यह खुशी का समय होता है, दशहरे मे रावण जलाया जाता है, पूरे 9 दिनो तक गरबा होता है. दुर्गा पूजन में सभी लोग बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मानते हैं. माँ दुर्गा के इन नो दिनों में किये जाने वाली आराधना को सबसे पवित्र माना जाता है.
इस पोस्ट में हमने माँ दुर्गा की पूजा याचना के बारे में तथा कई विधियों के बारे में पढ़ा की कैसे कैसे माँ दुर्गा की पूजन की जाती है और साथ ही हमने माँ दुर्गा के नव रूपों के बारे में पढ़ा आप अपने दोस्तों के साथ Durga Puja – 2020 – Durga Puja Ki Vidhi Kya Hai – Devi Durga Ke 9 Roopon Ke Naam Kya Hain जरुर share करें.
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